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पाठ-28
मेला
हमारे गाँव में हर साल मेला लगता है। मैं और नीरा मेला देखने गए। हम बहुत खुश थे। मेले की धूम दूर-दूर तक मची थी। वहाँ मिठाइयों की दुकानें थीं। बालक झूला झूल रहे थे। भालूवाला भालू का नाच दिखा रहा था। लड़के तालियाँ बजा-बजाकर हँस रहे थे। इधर भालू नाचता, उधर मदारी तमाशा दिखाता। डुगडुग डमरू बजता। झूम-झूम कर भालू नाचता। भालू ने खेल दिखाए। हमने पैसे लुटाये । भालू वाला पैसे उठाता और खुश हो जाता ।(A fair is held in our village every year. Me and Neera went to see the fair. We were very happy. The fair had spread far and wide. There were sweets shops. The children were swinging. The bear was performing the dance of the bear. The boys were laughing in applause. The bear danced here, the Madari spectacle there. Dugdug Damruu rings. The bear danced around. The bears showed games. We looted the money. The bear raised money and became happy.)
मेला दूर तक फैला हुआ था
। हम घूमते-घूमते थक गए । हमें बड़ी भूख लगी । हमने चाट खाई, पापड़ी
खाई सूरज डूबने वाला था । सब अपने-अपने घरों को लौटने लगे । हम भी खुशी खुशी घर
लौटे । मेले में बड़ा मज़ा आया। (
शब्द और अर्थ :
मदारी - तमाशा दिखाने वाला ।
अभ्यास
बताओ :
1.
(क)
मेला कहाँ लगता है ?
उत्तर :-
(ख)
बालक क्या कर रहे थे ?
उत्तर :-
(ग)
डमरू कैसे बजता था?
उत्तर :- डमरू
2.
खाली स्थान भरो:
(क) मैं और नीरा मेला देखने गए।
(ख) भालूवाला पैसे उठाता और खुश हो जाता।
(ग) हमने चाट खाई, पापड़ी खाई।
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