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पाठ-32
कोयल
और कौआ
कोयल रंग की काली है, पर मीठी वाणी वाली है। जब बोले कानों में रस घोले, सबका मन खाए हिचकोले। पर आमों का ही रस लेती, रस लेकर मीठा रस देती।
कौआ तन का तो काला है, पर मन से भी वह
काला है। बोले तो कानों में विष घोले, जिधर हो गंदगी उधर ही होले। वह तन-मन का काला है, किसी को न भाने वाला है।
शब्द
और अर्थ :
वाणी - आवाज़ ।
विष - जहर ।
अभ्यास
बताओ :
1. (क) कोयल का रंग कैसा होता है ?
उत्तरः- कोयल का रंग काली
होता है।
(ख) कोयल किसका रस लेती है?
उत्तरः- कोयल आमों का ही
रस लेती है।
(ग) कौआ किस ओर उड़ जाता है ?
उत्तरः- कौआ गंदगी की ओर
उड़ जाता है।
खाली
स्थान भरो :
उत्तरः-
(क) जब बोले कानों
में ....रस..... घोले।
(ख) रस लेकर .... मीठा
रस..... देती है ।
(ग) बोले तो कानों में .... विष..... घोले ।
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